होली 2025 तारीख

होली, जिसे रंगों का त्योहार कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में हिंदू समुदाय द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, भाईचारे और रंगों के संगम का प्रतीक है। होली का त्योहार मुख्य रूप से दो दिन का होता है—पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है।

होली 2025 की तारीख और समय

वर्ष 2025 में होली का पर्व निम्नलिखित तिथियों पर मनाया जाएगा:

  • होलिका दहन: 13 मार्च 2025 (गुरुवार)
  • रंग वाली होली: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat 2025)

होलिका दहन की पूजा और अग्नि प्रज्वलन का विशेष महत्व होता है। सही समय पर होलिका दहन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

  • होलिका दहन का मुहूर्त: सायंकाल 06:30 बजे से 08:52 बजे तक
  • भद्रा समाप्ति का समय: 05:20 बजे
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025 को प्रातः 02:23 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 को रात 11:45 बजे

(समय स्थान के अनुसार थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है।)

होली का महत्व

होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व से भी परिपूर्ण है।

1. धार्मिक महत्व

होली से जुड़ी प्रमुख कथा भक्त प्रह्लाद और होलिका की है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नामक असुर राजा था, जो स्वयं को भगवान मानता था और चाहता था कि हर कोई उसकी पूजा करे। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया। अंततः उसने अपनी बहन होलिका की सहायता ली, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने की योजना बनाई, लेकिन ईश्वर की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गए। तभी से होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

2. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

होली एक ऐसा पर्व है जो समाज में प्रेम, भाईचारे और समानता का संदेश देता है। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और प्यार के रंगों में रंग जाते हैं। यह त्योहार समाज को जोड़ने और नकारात्मकता को दूर करने का एक माध्यम भी है।

होली का उत्सव और परंपराएं

1. होलिका दहन (Holika Dahan)

होली का पहला दिन होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रात्रि में लकड़ियों, उपलों और अन्य दहन सामग्री से एक होलिका बनाई जाती है, जिसमें लोग अग्नि प्रज्वलित कर उसकी परिक्रमा करते हैं और बुराई को जलाने का संकल्प लेते हैं।

2. रंगों की होली (Rangwali Holi)

दूसरे दिन रंगों की होली खेली जाती है, जिसे धुलंडी, धुलेटी या रंग पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन लोग रंग, गुलाल और पानी से होली खेलते हैं।

3. विशेष पकवान और खानपान

होली पर विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें गुजिया, मालपुआ, ठंडाई, दही भल्ला, पापड़, कांजी, चिप्स और मिठाइयाँ शामिल हैं। ठंडाई में अक्सर भांग मिलाई जाती है, जो इस पर्व की एक खास पहचान बन गई है।

4. फाग उत्सव और होली गीत

होली के दौरान कई स्थानों पर फाग उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग ढोलक, मंजीरा और अन्य वाद्ययंत्रों के साथ पारंपरिक होली गीत गाते हैं। ब्रज क्षेत्र (मथुरा-वरिंदावन), काशी, प्रयागराज और राजस्थान में यह उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

भारत में होली के विशेष रूप

1. मथुरा-वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ लठमार होली, फूलों की होली और रंगोत्सव विशेष रूप से मनाए जाते हैं।

2. बरसाना की लठमार होली

बरसाना की लठमार होली में महिलाएँ पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, जबकि पुरुष ढाल लेकर अपने बचाव का प्रयास करते हैं। यह अनोखी परंपरा दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

3. शांति निकेतन की होली (बसंती उत्सव)

रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शुरू की गई यह होली पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से मनाई जाती है, जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ यह त्योहार मनाया जाता है।

4. पंजाब की होला मोहल्ला

सिख समुदाय के लोग पंजाब में होला मोहल्ला मनाते हैं, जिसमें युद्ध कौशल का प्रदर्शन और विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।

होली 2025 के लिए कुछ सावधानियाँ

  1. रासायनिक रंगों से बचें – होली खेलते समय हर्बल और प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करें ताकि त्वचा और बालों को नुकसान न पहुंचे।
  2. पानी की बर्बादी न करें – सूखी होली खेलने की कोशिश करें, जिससे पानी की बचत हो सके।
  3. नशे से बचें – होली के दिन भांग और शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना न हो।
  4. बड़ों और बच्चों का ध्यान रखें – होली खेलते समय यह सुनिश्चित करें कि छोटे बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित रहें।

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